मैं दुनिया से लड़ सकता हूँ पर अपनो के सामने लड़ नहीं सकता, क्योंकि अपनो के साथ मुझे ‘जीतना’ नहीं बल्कि ‘जीना’ है!
बनावटी लोगो से सावधान : पहले तो रो -रो कर आपके दर्द पूछेंगे फिर हँस -हँस कर लोगों को बताएंगे।
एक अच्छे चरित्र का निर्माण हज़ारों बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।
शतरंज मे वज़ीर…और ज़िंदगी मे ज़मीर…अगर मर जाए तो खेल ख़त्म समझिए।
तुम्हारे हर सवाल का जवाब मेरी आँखों में था और तुम मेरी जुबान खुलने का इंतज़ार करते रहे।
अपने खिलाफ बातों को अक्सर मैं ख़ामोशी से सुनता हूँ क्योकि जवाब देने का हक़.. मैंने वक़्त को दे रखा है
उड़ने में बुराई नहीं है , लेकिन उतना ही ऊँचा उड़े जहाँ से ज़मीन साफ़ दिखाई दे।
असफलता की इमारत बहाने की नींव पर बनती है।
वक्त निकाल कर अपनों से मिल लिया करो, अगर अपने ही ना होंगे तो, क्या करोगे वक्त का ?
मुझे हमदर्दी नहीं, थोडा सा अपनापन चाहिए दरसल खो सा गया हूँ… अपनो की ही भीड में।
आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब,जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते।दो चार नहीं…मुझे सिर्फ एक दिखा दो… वो शख्स…जो अन्दर भी बाहर जैसा हो…।
चेहरे पर जो अपने दोहरी नकाब रखता हैं, खुदा उसकी चलाकियों का हिसाब रखता हैं।
गुनहगारों की आँखों में झूठे ग़ुरूर होते हैं, यहाँ शर्मिन्दा तो सिर्फ़ बेक़सूर होते हैं…
बस इतना ही चाहिये तुजसे ऐ जिंदगी… कि जम़ीन पर बैठूँ तो लोग उसे मेरा बडप्पन कहें, औकात नहीं…
मैं हिंदी बोलता हूँ, इसलिए आप “आप” हैं, वरना कब के “you” हो गए होते…
ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है.. मुस्कुराओ तो लोग जलते है, तन्हा रहो तो सवाल करते है…
मेरे बारे में इतना मत सोचना, दिल में आता हूँ, समज में नहीं!
ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का तुझसे..धड़कना भूल सकता है पर तेरा नाम नही…
कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते, पर अमीर जरूर बना देते हैं।
बहुत ही खूबसूरत लम्हा था वो …जब उसने कहा था मुझे तुमसे मोहब्बत है और तुमसे ही रहेगी।दुनियां में टीवी का रिमोट ही वह एक़ मात्र वस्तु है – जिसक़ी पीठ काम ना करने पर ही थपथपाई जाती है।
जीवन में मुश्किलो को ऐसे नज़रअंदाज़ कीजिये जैसे….गोलगप्पे वाले को उसके काले-काले हाथो से आलू मसलते हुए नज़रअंदाज़ करते हैं।
बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है,बस अंकल चलते चलते बहुत दुर चली गई मुझसे।
हम शरीफ बच्चे है जनाब !! जब तक माँ जागने के लिए न बोले मज़ाल है जो अपनी आँख भी खोल दे।
“मुझे ढूंढने की कोशिश अब न किया कर… तूने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली…
अजीब मेरा अकेलापन है… तेरी चाहत भी नहीं और तेरी जरूरत भी है…
मुझे इतना याद आकर बेचैन ना करो तुम, एक यही सितम काफी है कि साथ नहीं हो तुम…
यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी हैं मगर तुम्हारे बिना मैं लापता सा महसूस करता हु…
शतरंज की चालो का खोफ उन्हें होता है जो सियासत करते है, हम तो मोहब्बत के खिलाड़ी है न हार की फिक्र न जीत का जिक्र…
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